प्रतिरूपक व्यवहार: Difference between revisions
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<p> अचौर्याणुव्रत का पाँचवाँ अतीचार-कृत्रिम स्वर्णादि एवं वचनों से दूसरों को ठगना । हरिवंशपुराण 58.173</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अचौर्याणुव्रत का पाँचवाँ अतीचार-कृत्रिम स्वर्णादि एवं वचनों से दूसरों को ठगना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#173|हरिवंशपुराण - 58.173]] </span></p> | ||
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अचौर्याणुव्रत का पाँचवाँ अतीचार-कृत्रिम स्वर्णादि एवं वचनों से दूसरों को ठगना । हरिवंशपुराण - 58.173