प्रशस्तध्यान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> ध्यान के प्रशस्त और अप्रशस्त दो भेदों में प्रथम भेद । शुभ परिणामों से किया हुआ ध्यान प्रशस्त ध्यान है । इसके भी दो भेद होते हैं― धर्मध्यान और शुक्लध्यान । <span class="GRef"> महापुराण 21.27-29 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> ध्यान के प्रशस्त और अप्रशस्त दो भेदों में प्रथम भेद । शुभ परिणामों से किया हुआ ध्यान प्रशस्त ध्यान है । इसके भी दो भेद होते हैं― धर्मध्यान और शुक्लध्यान । <span class="GRef"> महापुराण 21.27-29 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
ध्यान के प्रशस्त और अप्रशस्त दो भेदों में प्रथम भेद । शुभ परिणामों से किया हुआ ध्यान प्रशस्त ध्यान है । इसके भी दो भेद होते हैं― धर्मध्यान और शुक्लध्यान । महापुराण 21.27-29