बालचंद्र: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> ई. | <li> ई. 700 के एक दिगंबराचार्य । अधिक जानकारी के लिए देखें - [[ बलचंद्र ]]) । </li> | ||
<li> समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय, तत्त्वार्थसूत्र व परमात्मप्रकाशके कन्नड़ टीकाकार । समय - वि.श. 12 का अंत (ई.श. 13 पूर्व) । (जै. /2/194) । </li> | <li> समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय, तत्त्वार्थसूत्र व परमात्मप्रकाशके कन्नड़ टीकाकार । समय - वि.श. 12 का अंत (ई.श. 13 पूर्व) । (जै. /2/194) । </li> | ||
<li> अभयचंद्र के शिष्य, श्रुतमुनि के शिक्षा गुरु । भावत्रिभंगी तथा द्रव्य संग्रह की टीका के कर्ता । समय - शक 1195-1233 (ई. 1273-1311) । (जै./2/56, 378) ।</li> | <li> अभयचंद्र के शिष्य, श्रुतमुनि के शिक्षा गुरु । भावत्रिभंगी तथा द्रव्य संग्रह की टीका के कर्ता । समय - शक 1195-1233 (ई. 1273-1311) । (जै./2/56, 378) ।</li> | ||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1">(1) राजा अनरण्य का सेनापति विदग्ध नगर के राजा प्रकाशसिंह के पुत्र कुंडलमंडित को इसी ने बाँधा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 26. 51-56 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) राजा अनरण्य का सेनापति । विदग्ध नगर के राजा प्रकाशसिंह के पुत्र कुंडलमंडित को इसी ने बाँधा था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_26#51|पद्मपुराण - 26.51-56]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) आगामी काल में होने वाला नौवाँ बलभद्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 569 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) आगामी काल में होने वाला नौवाँ बलभद्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#569|हरिवंशपुराण - 60.569]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 30: | Line 30: | ||
[[Category: ब]] | [[Category: ब]] | ||
[[Category: इतिहास]] | [[Category: इतिहास]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- ई. 700 के एक दिगंबराचार्य । अधिक जानकारी के लिए देखें - बलचंद्र ) ।
- समयसार, प्रवचनसार, पंचास्तिकाय, तत्त्वार्थसूत्र व परमात्मप्रकाशके कन्नड़ टीकाकार । समय - वि.श. 12 का अंत (ई.श. 13 पूर्व) । (जै. /2/194) ।
- अभयचंद्र के शिष्य, श्रुतमुनि के शिक्षा गुरु । भावत्रिभंगी तथा द्रव्य संग्रह की टीका के कर्ता । समय - शक 1195-1233 (ई. 1273-1311) । (जै./2/56, 378) ।
पुराणकोष से
(1) राजा अनरण्य का सेनापति । विदग्ध नगर के राजा प्रकाशसिंह के पुत्र कुंडलमंडित को इसी ने बाँधा था । पद्मपुराण - 26.51-56
(2) आगामी काल में होने वाला नौवाँ बलभद्र । हरिवंशपुराण - 60.569