भवधारण: Difference between revisions
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<p> अग्रायणीयपूर्व की पंचम वस्तु के बीस प्राभृतों (पाहुड) में कर्म प्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योग द्वारों में अठारहवाँ योगद्वार । हरिवंशपुराण 10.81, 84 देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अग्रायणीयपूर्व की पंचम वस्तु के बीस प्राभृतों (पाहुड) में कर्म प्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योग द्वारों में अठारहवाँ योगद्वार । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#81|हरिवंशपुराण - 10.81]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_10#84|हरिवंशपुराण - 10.84]] </span>देखें [[ अग्रायणीयपूर्व ]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
अग्रायणीयपूर्व की पंचम वस्तु के बीस प्राभृतों (पाहुड) में कर्म प्रकृति नामक चौथे प्राभृत के चौबीस योग द्वारों में अठारहवाँ योगद्वार । हरिवंशपुराण - 10.81,हरिवंशपुराण - 10.84 देखें अग्रायणीयपूर्व