मठ: Difference between revisions
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<p> तापसियों का आश्रम । ये विशाल पत्तों से आच्छादित होते थे । इनमें पालतू पशु-पक्षी भी रहते थे । यहाँ धान्य न्यूनतम श्रम से उत्पन्न होता था । अनेक फलों वाले वृक्ष भी होते थे । महापुराण 65. 115-117, पद्मपुराण 33. 3-6</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तापसियों का आश्रम । ये विशाल पत्तों से आच्छादित होते थे । इनमें पालतू पशु-पक्षी भी रहते थे । यहाँ धान्य न्यूनतम श्रम से उत्पन्न होता था । अनेक फलों वाले वृक्ष भी होते थे । <span class="GRef"> महापुराण 65. 115-117, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_33#3|पद्मपुराण - 33.3-6]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
तापसियों का आश्रम । ये विशाल पत्तों से आच्छादित होते थे । इनमें पालतू पशु-पक्षी भी रहते थे । यहाँ धान्य न्यूनतम श्रम से उत्पन्न होता था । अनेक फलों वाले वृक्ष भी होते थे । महापुराण 65. 115-117, पद्मपुराण - 33.3-6