मध्यम-शातकुंभ: Difference between revisions
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<p> शातकुंभ दत का एक भेद । इसमें नौ, आठ, सात, छः, पाँच, चार, तीन, दो, एक-आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन दो, एक, इस क्रम से एक सौ त्रेपन उपवास तथा उपवासों की एक संख्या के पूर्ण होने पर एक पारणा के क्रम से कुछ तैंतीस पारणाएँ की जाती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.87-88 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> शातकुंभ दत का एक भेद । इसमें नौ, आठ, सात, छः, पाँच, चार, तीन, दो, एक-आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन दो, एक, इस क्रम से एक सौ त्रेपन उपवास तथा उपवासों की एक संख्या के पूर्ण होने पर एक पारणा के क्रम से कुछ तैंतीस पारणाएँ की जाती है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#87|हरिवंशपुराण - 34.87-88]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
शातकुंभ दत का एक भेद । इसमें नौ, आठ, सात, छः, पाँच, चार, तीन, दो, एक-आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन दो, एक, इस क्रम से एक सौ त्रेपन उपवास तथा उपवासों की एक संख्या के पूर्ण होने पर एक पारणा के क्रम से कुछ तैंतीस पारणाएँ की जाती है । हरिवंशपुराण - 34.87-88