मनोहर: Difference between revisions
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<p id="3" class="HindiText">(3) भोगपुर नगर का समीपवर्ती एक उद्यान । राजा पद्मनाभ यहाँ दीक्षित हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 67.63-68 </span></p> | |||
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<p id="10">(10) रौद्र, राक्षस गंधर्व और मनोहर रात्रि के इन चार प्रहरों में चौथा प्रहर― रात्रि का अवसान-काल । <span class="GRef"> महापुराण 74.255 </span></p> | |||
<p id="11">(11) ऋजुकूला नदी का तटवर्ती एक वन । महावीर इसी वन में केवली हुए थे । मपु 74.348-352, <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 13. 100-101 </span></p> | |||
<p id="12">(12) एक सरोवर । नेमि और सत्यभामा के बीच वार्तालाप यहीं हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 130 </span></p> | |||
<p id="13">(13) राजतमालिका नदी का तटवर्ती एक वन, तीर्थंकर वासुपूज्य की निर्वाणभूमि । <span class="GRef"> महापुराण 58.51-52 </span></p> | |||
<p id="14">(14) पावा नगरी के समीप स्थित एक वन । तीर्थंकर महावीर ने इसी वन से निर्वाण पाया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_60#15|हरिवंशपुराण - 60.15-17]] </span></p> | |||
<p id="15">(15) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 182 </span></p> | |||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
महोरग जाति का एक व्यंतर देव । महोरग से संबंधित जानकारी के लिए देखें महोरग ।
पुराणकोष से
(1) पुंडरीकिणी नगरी का एक उद्यान । मुनि यशोधर यहीं केवली हुए थे । महापुराण 6.85-86, हरिवंशपुराण - 33.145
(2) कौशांबी का एक उद्यान । तीर्थंकर श्रेयांस ने यहाँ दीक्षा धारण कर मन:पर्ययज्ञान प्राप्त किया था । महापुराण 57.48, 69.4
(3) भोगपुर नगर का समीपवर्ती एक उद्यान । राजा पद्मनाभ यहाँ दीक्षित हुए थे । महापुराण 67.63-68
(4) एक वन । तीर्थंकर पद्मप्रभ ने यहाँ दीक्षा ली थी । महापुराण 52.51, पांडवपुराण 4.14
(5) महाबुद्धि और पराक्रमधारी अमररक्ष के पुत्रों द्वारा बसाये गये दस नगरों में एक नगर । पद्मपुराण -5. 371
(6) नंद्यावर्त विमान का एक देव । महापुराण 9.191
(7) भरतक्षेत्र में विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक देश । महापुराण 47. 261-262
(8) विदेहक्षेत्र के वत्सकावती देश का एक पर्वत । महापुराण 58-7
(9) गंधर्व विद्या का एक शिक्षक । महापुराण 70. 262
(10) रौद्र, राक्षस गंधर्व और मनोहर रात्रि के इन चार प्रहरों में चौथा प्रहर― रात्रि का अवसान-काल । महापुराण 74.255
(11) ऋजुकूला नदी का तटवर्ती एक वन । महावीर इसी वन में केवली हुए थे । मपु 74.348-352, वीरवर्द्धमान चरित्र 13. 100-101
(12) एक सरोवर । नेमि और सत्यभामा के बीच वार्तालाप यहीं हुआ था । महापुराण 71. 130
(13) राजतमालिका नदी का तटवर्ती एक वन, तीर्थंकर वासुपूज्य की निर्वाणभूमि । महापुराण 58.51-52
(14) पावा नगरी के समीप स्थित एक वन । तीर्थंकर महावीर ने इसी वन से निर्वाण पाया था । हरिवंशपुराण - 60.15-17
(15) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 182