महोदधि: Difference between revisions
From जैनकोष
Bhumi Doshi (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> किष्कुनगर का वानरवंशी विद्याधरों का स्वामी एक नृप । इसकी रानी विद्युत्प्रकाशा तथा उससे उत्पन्न इसके एक सौ आठ पुत्र थे । राक्षसबल के शिरोमणि विद्युत्केश के दीक्षित होते ही प्रतिचंद्र पुत्र को राज्य देकर इसने भी दीक्षा धारण की थी और अंत में तपश्चरण कर मोक्ष प्राप्त किया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.218-225, 349-251 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> किष्कुनगर का वानरवंशी विद्याधरों का स्वामी एक नृप । इसकी रानी विद्युत्प्रकाशा तथा उससे उत्पन्न इसके एक सौ आठ पुत्र थे । राक्षसबल के शिरोमणि विद्युत्केश के दीक्षित होते ही प्रतिचंद्र पुत्र को राज्य देकर इसने भी दीक्षा धारण की थी और अंत में तपश्चरण कर मोक्ष प्राप्त किया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_6#218|पद्मपुराण - 6.218-225]], 349-251 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] | ||
[[Category: | [[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
किष्कुनगर का वानरवंशी विद्याधरों का स्वामी एक नृप । इसकी रानी विद्युत्प्रकाशा तथा उससे उत्पन्न इसके एक सौ आठ पुत्र थे । राक्षसबल के शिरोमणि विद्युत्केश के दीक्षित होते ही प्रतिचंद्र पुत्र को राज्य देकर इसने भी दीक्षा धारण की थी और अंत में तपश्चरण कर मोक्ष प्राप्त किया था । पद्मपुराण - 6.218-225, 349-251