माणव: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) चक्रवर्ती की नौ निधियों में एक निधि । इससे नीतिशास्त्र के ज्ञान से अतिरिक्त अनेक प्रकार के कवच, ढाल, तलवार, बाण शक्ति, धनुष और चक्र आदि आयुध उत्पन्न होते थे । <span class="GRef"> महापुराण 37.73, 80 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 110-111, 117 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) चक्रवर्ती की नौ निधियों में एक निधि । इससे नीतिशास्त्र के ज्ञान से अतिरिक्त अनेक प्रकार के कवच, ढाल, तलवार, बाण शक्ति, धनुष और चक्र आदि आयुध उत्पन्न होते थे । <span class="GRef"> महापुराण 37.73, 80 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#110|हरिवंशपुराण - 11.110-111]], 117 </span></p> | ||
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<p id="3">(3) भरतेश के छोटे भाइयों द्वारा त्यक्त देशों में भरतक्षेत्र के आर्यखंड का एक देश । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.69 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) भरतेश के छोटे भाइयों द्वारा त्यक्त देशों में भरतक्षेत्र के आर्यखंड का एक देश । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#69|हरिवंशपुराण - 11.69]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें मालव ।
पुराणकोष से
(1) चक्रवर्ती की नौ निधियों में एक निधि । इससे नीतिशास्त्र के ज्ञान से अतिरिक्त अनेक प्रकार के कवच, ढाल, तलवार, बाण शक्ति, धनुष और चक्र आदि आयुध उत्पन्न होते थे । महापुराण 37.73, 80 हरिवंशपुराण - 11.110-111, 117
(2) कंठ का आभूषण-बीस लड़ियों वाला हार । महापुराण 16.61
(3) भरतेश के छोटे भाइयों द्वारा त्यक्त देशों में भरतक्षेत्र के आर्यखंड का एक देश । हरिवंशपुराण - 11.69