मित्रानुराग: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सल्लेखनाव्रत का पाँचवाँ अतिचार-सल्लेखना के समय मित्रों में किये अथवा उनके दिये गये प्रेम की स्मृति करना । हरिवंशपुराण - 58.184