मंगल-द्रव्य: Difference between revisions
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<p> समवसरण-भूमि के गोपुरों की शोभा-विधायक वस्तुएँ । ये | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> समवसरण-भूमि के गोपुरों की शोभा-विधायक वस्तुएँ । ये भृंगार, कलश आदि के रूप में एक सो आठ होती हैं । मुख्य रूप से अष्ट मंगल द्रव्य ये हैं― पंखा, छत्र, चँमर, ध्वजा, दर्पण, सुप्रतिष्ठक, भृंगार और कलश । जन्म लेते ही तीर्थंकरों को जब इंद्राणी इंद्र को देती है तब दिक्कुमारियों इन्हीं अष्ट मंगल द्रव्यों को अपने हाथों में लेकर, इंद्राणी के आगे चलती हैं । <span class="GRef"> महापुराण 22. 143, 275, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#72|हरिवंशपुराण - 2.72]], </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 8.84-85 </span></p> | ||
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समवसरण-भूमि के गोपुरों की शोभा-विधायक वस्तुएँ । ये भृंगार, कलश आदि के रूप में एक सो आठ होती हैं । मुख्य रूप से अष्ट मंगल द्रव्य ये हैं― पंखा, छत्र, चँमर, ध्वजा, दर्पण, सुप्रतिष्ठक, भृंगार और कलश । जन्म लेते ही तीर्थंकरों को जब इंद्राणी इंद्र को देती है तब दिक्कुमारियों इन्हीं अष्ट मंगल द्रव्यों को अपने हाथों में लेकर, इंद्राणी के आगे चलती हैं । महापुराण 22. 143, 275, हरिवंशपुराण - 2.72, वीरवर्द्धमान चरित्र 8.84-85