युति: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(6 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong name="1" id="1">युति </strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 13/5, 5, 82/348/9 </span><span class="SanskritText"> सामीप्यं संयोगो वा युतिः।</span> = <span class="HindiText">समीपता या संयोग का नाम युति है। <br /> | |||
</span></li> | </span></li> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong name="2" id="2"> युति के भेद</strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 13/5, 5, 82/348/9 </span><span class="PrakritText">तत्थ दव्वजुडी तिविहा<strong>−</strong>जीवजुडी पोग्गलजुडी जीव-पोग्गलजुडी चेदि। तत्थ एक्कम्हि कुले गामणयरे बिले गुहाए अडईए जीवाणं मेलणं जीवजुडी णाम। वाएण हिंडिज्जमाणपण्णाणं व एक्कम्हिं देसे पोग्गलाणं मेलणं पोग्गलजुडी णाम। जीवाणं पोग्गलाणं च मेलणं जीवपोग्गलजुडी णाम। अधवा दव्वजुडी जीवपोग्गल-धम्माधम्मकाल-आगासाणमेगादिसंजोगेण उप्पादेदव्वा। जीवादि दव्वाणं णिरयादिखेत्तेहि सह मेलणं खेत्तजुडी णाम। तेसिं चेव दव्वाणं दिवस-माससंवच्छरादिकालेहिं सह मेलणं कालजुडी णाम। कोह-माण-माया-लोहादीहि सह मेलणं भावजुडी णाम।</span> | |||
<ol> | <ol> | ||
<li class="HindiText"> यहाँ द्रव्य युति तीन प्रकार की है<strong>−</strong>जीवयुति, पुद्गलयुति और जीव-पुद्गलयुति। इनमें से एक कुल, ग्राम, नगर, बिल, गुफा या अटवी में जीवों का | <li class="HindiText"> यहाँ द्रव्य युति तीन प्रकार की है<strong>−</strong>जीवयुति, पुद्गलयुति और जीव-पुद्गलयुति। इनमें से एक कुल, ग्राम, नगर, बिल, गुफा या अटवी में जीवों का मिलना <strong>जीवयुति</strong> है। वायु के कारण हिलने वाले पत्तों के समान एक स्थान पर पुद्गलों का मिलना <strong>पुद्गल युति</strong> है। जीव और पुद्गलों का मिलना <strong>जीव-पुद्गल युति</strong> हैं| अथवा जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, काल और आकाश इनके एक आदि संयोग के द्वारा द्रव्य-युति उत्पन्न करानी चाहिए। </li> | ||
<li class="HindiText"> जीवादि द्रव्यों का नारकादि क्षेत्रों के साथ मिलना | <li class="HindiText"> जीवादि द्रव्यों का नारकादि क्षेत्रों के साथ मिलना <strong> क्षेत्रयुति</strong> है। </li> | ||
<li class="HindiText"> उन्हीं द्रव्यों का दिन, महीना और वर्ष आदि कालों के साथ | <li class="HindiText"> उन्हीं द्रव्यों का दिन, महीना और वर्ष आदि कालों के साथ मिलाप होना <strong>कालयुति</strong> है। </li> | ||
<li class="HindiText"> क्रोध, मान, माया और लोभादिक के साथ उनका मिलाप होना भावयुति है। <br /> | <li class="HindiText"> क्रोध, मान, माया और लोभादिक के साथ उनका मिलाप होना <strong>भावयुति</strong> है। <br /> | ||
</li> | </li> | ||
</ol> | </ol> | ||
</li> | </li> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong name="3" id="3"> युति व बंध में अंतर</strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 13/5, 5, 82/348/9 </span><span class="SanskritText">युति-बंधयोः को विशेषः। एकीभावो बंधः, सामीप्यं संयोगो वा युतिः।</span> =<span class="HindiText"> <strong>प्रश्न−</strong>युति और बंध में क्या भेद है ? <strong>उत्तर−</strong>एकीभाव का नाम बंध है और समीपता या संयोग का नाम युति है। </span></li> | |||
</ol> | </ol> | ||
Line 24: | Line 24: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: य]] | [[Category: य]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
- युति
धवला 13/5, 5, 82/348/9 सामीप्यं संयोगो वा युतिः। = समीपता या संयोग का नाम युति है।
- युति के भेद
धवला 13/5, 5, 82/348/9 तत्थ दव्वजुडी तिविहा−जीवजुडी पोग्गलजुडी जीव-पोग्गलजुडी चेदि। तत्थ एक्कम्हि कुले गामणयरे बिले गुहाए अडईए जीवाणं मेलणं जीवजुडी णाम। वाएण हिंडिज्जमाणपण्णाणं व एक्कम्हिं देसे पोग्गलाणं मेलणं पोग्गलजुडी णाम। जीवाणं पोग्गलाणं च मेलणं जीवपोग्गलजुडी णाम। अधवा दव्वजुडी जीवपोग्गल-धम्माधम्मकाल-आगासाणमेगादिसंजोगेण उप्पादेदव्वा। जीवादि दव्वाणं णिरयादिखेत्तेहि सह मेलणं खेत्तजुडी णाम। तेसिं चेव दव्वाणं दिवस-माससंवच्छरादिकालेहिं सह मेलणं कालजुडी णाम। कोह-माण-माया-लोहादीहि सह मेलणं भावजुडी णाम।- यहाँ द्रव्य युति तीन प्रकार की है−जीवयुति, पुद्गलयुति और जीव-पुद्गलयुति। इनमें से एक कुल, ग्राम, नगर, बिल, गुफा या अटवी में जीवों का मिलना जीवयुति है। वायु के कारण हिलने वाले पत्तों के समान एक स्थान पर पुद्गलों का मिलना पुद्गल युति है। जीव और पुद्गलों का मिलना जीव-पुद्गल युति हैं| अथवा जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, काल और आकाश इनके एक आदि संयोग के द्वारा द्रव्य-युति उत्पन्न करानी चाहिए।
- जीवादि द्रव्यों का नारकादि क्षेत्रों के साथ मिलना क्षेत्रयुति है।
- उन्हीं द्रव्यों का दिन, महीना और वर्ष आदि कालों के साथ मिलाप होना कालयुति है।
- क्रोध, मान, माया और लोभादिक के साथ उनका मिलाप होना भावयुति है।
- युति व बंध में अंतर
धवला 13/5, 5, 82/348/9 युति-बंधयोः को विशेषः। एकीभावो बंधः, सामीप्यं संयोगो वा युतिः। = प्रश्न−युति और बंध में क्या भेद है ? उत्तर−एकीभाव का नाम बंध है और समीपता या संयोग का नाम युति है।