रसाधिकांभोद: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 76.454, 458 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 76.454, 458 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: र]] | [[Category: र]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
रसाधिक जाति के मेघ । ये रस की वर्षा करते हैं । इनसे छहों रसों की उत्पत्ति होती है । ये मेघ उत्सर्पिणी काल के अतिदु:षमा काल में बरसते हैं । महापुराण 76.454, 458