लाट: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> गुजरात के प्राचीन काल में तीन भाग थे। उनमें से गुजरात का मध्य व दक्षिण भाग लाट कहलाता था। | <div class="HindiText"> गुजरात के प्राचीन काल में तीन भाग थे। उनमें से गुजरात का मध्य व दक्षिण भाग लाट कहलाता था। <span class="GRef">( महापुराण /प्र./49। पन्नालाल )</span> <span class="GRef">( कषायपाहुड़ 1/प्र. 73 )</span> | ||
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<div class="HindiText"> <p> एक देश । भरतेश ने यहाँ के राजा को अपनी अधीनता स्वीकार करायी थी । तीर्थंकर नेमिनाथ विहार करते हुए यहाँ आये थे । <span class="GRef"> महापुराण 30. 97, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 59.110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> एक देश । भरतेश ने यहाँ के राजा को अपनी अधीनता स्वीकार करायी थी । तीर्थंकर नेमिनाथ विहार करते हुए यहाँ आये थे । <span class="GRef"> महापुराण 30. 97, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_59#110|हरिवंशपुराण - 59.110]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
गुजरात के प्राचीन काल में तीन भाग थे। उनमें से गुजरात का मध्य व दक्षिण भाग लाट कहलाता था। ( महापुराण /प्र./49। पन्नालाल ) ( कषायपाहुड़ 1/प्र. 73 )
पुराणकोष से
एक देश । भरतेश ने यहाँ के राजा को अपनी अधीनता स्वीकार करायी थी । तीर्थंकर नेमिनाथ विहार करते हुए यहाँ आये थे । महापुराण 30. 97, हरिवंशपुराण - 59.110