वज्रमय: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
मेरु पर्वत की पृथिवीकाय रूप छ: परिधियों में तीसरी परिधि । इसका विस्तार सोलह हजार पाँच सौ योजन है । हरिवंशपुराण - 5.305