वरतनु: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक व्यंतर देव । यह व्यंतर देवों का स्वामी था । चक्रवर्ती भरतेश ने इसे पराजित करके इससे भेंट में कवच, हार, चूड़ारत्न, कड़े, यज्ञोपवीत, कंठहार और करधनी आभूषण प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 29.166-167, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 13-14 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) एक व्यंतर देव । यह व्यंतर देवों का स्वामी था । चक्रवर्ती भरतेश ने इसे पराजित करके इससे भेंट में कवच, हार, चूड़ारत्न, कड़े, यज्ञोपवीत, कंठहार और करधनी आभूषण प्राप्त किये थे । <span class="GRef"> महापुराण 29.166-167, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#13|हरिवंशपुराण - 11.13-14]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) समुद्र के वैजयंत गोपुर का एक देव । लक्ष्मण ने इसे पराजित किया था । <span class="GRef"> महापुराण 68.651 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) समुद्र के वैजयंत गोपुर का एक देव । लक्ष्मण ने इसे पराजित किया था । <span class="GRef"> महापुराण 68.651 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
लवण समुद्र की दक्षिण व उत्तर दिशा में स्थित द्वीप व उनके स्वामी देव - देखें लोक - 4.1 ।
पुराणकोष से
(1) एक व्यंतर देव । यह व्यंतर देवों का स्वामी था । चक्रवर्ती भरतेश ने इसे पराजित करके इससे भेंट में कवच, हार, चूड़ारत्न, कड़े, यज्ञोपवीत, कंठहार और करधनी आभूषण प्राप्त किये थे । महापुराण 29.166-167, हरिवंशपुराण - 11.13-14
(2) समुद्र के वैजयंत गोपुर का एक देव । लक्ष्मण ने इसे पराजित किया था । महापुराण 68.651