वाक्समिति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> पाँच समितियों में दूसरी समिति । निर्ग्रंथ साधु को इसका पालन करना होता है । इसमें सदा कर्कश और कठोर वचनों का त्याग और यत्नपूर्वक धार्मिक कार्यों में हित, मित और प्रिय भाषा का व्यवहार किया जाता है । इसका अपर नाम भाषा-समिति है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 14.108, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2. 123 </span>देखें [[ | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> पाँच समितियों में दूसरी समिति । निर्ग्रंथ साधु को इसका पालन करना होता है । इसमें सदा कर्कश और कठोर वचनों का त्याग और यत्नपूर्वक धार्मिक कार्यों में हित, मित और प्रिय भाषा का व्यवहार किया जाता है । इसका अपर नाम भाषा-समिति है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_14#108|पद्मपुराण - 14.108]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#123|हरिवंशपुराण - 2.123]] </span>देखें [[ भाषा-समिति ]]</p> | ||
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पाँच समितियों में दूसरी समिति । निर्ग्रंथ साधु को इसका पालन करना होता है । इसमें सदा कर्कश और कठोर वचनों का त्याग और यत्नपूर्वक धार्मिक कार्यों में हित, मित और प्रिय भाषा का व्यवहार किया जाता है । इसका अपर नाम भाषा-समिति है । पद्मपुराण - 14.108, हरिवंशपुराण - 2.123 देखें भाषा-समिति