विकथा: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef"> मूलाचार/मूल /855-856</span><span class="PrakritText"> इत्थिकहा अत्थकहा भत्तकहा खेडकव्वडाणं च। रायकहा चोरकहा जणवदणयरायरकहाओ।855। णडभडमल्लकहाओ मायाकरजल्लमुट्ठियाणं च। अज्जउललंघियाणं कहासु ण विरज्जए धीरा:।856। </span>=<span class="HindiText">स्त्रीकथा, धनकथा, भोजनकथा, नदी पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, केवल पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, राजकथा, चोरकथा, देश-नगरकथा, खानि संबंधी कथा।855। नटकथा, भाटकथा, मल्लकथा, कपटजीवी व्याध व ज्वारी की कथा, हिंसकों की कथा, ये सब लौकिकी कथा (विकथा) है। इनमें वैरागी मुनिराज रागभाव नहीं करते।856।</span><br /> | <span class="GRef"> मूलाचार/मूल /855-856</span><span class="PrakritText"> इत्थिकहा अत्थकहा भत्तकहा खेडकव्वडाणं च। रायकहा चोरकहा जणवदणयरायरकहाओ।855। णडभडमल्लकहाओ मायाकरजल्लमुट्ठियाणं च। अज्जउललंघियाणं कहासु ण विरज्जए धीरा:।856। </span>=<span class="HindiText">स्त्रीकथा, धनकथा, भोजनकथा, नदी पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, केवल पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, राजकथा, चोरकथा, देश-नगरकथा, खानि संबंधी कथा।855। नटकथा, भाटकथा, मल्लकथा, कपटजीवी व्याध व ज्वारी की कथा, हिंसकों की कथा, ये सब लौकिकी कथा ('''विकथा''') है। इनमें वैरागी मुनिराज रागभाव नहीं करते।856।</span><br /> | ||
Line 16: | Line 16: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> धर्मकथा से रहित अर्थ और काम संबंधी कथाएँ (स्त्रीकथा, राजकथा, चोरकथा, भक्तकथा) । ये पाप के आस्रव का कारण होती है । <span class="GRef"> महापुराण 1.119 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> धर्मकथा से रहित अर्थ और काम संबंधी कथाएँ (स्त्रीकथा, राजकथा, चोरकथा, भक्तकथा) । ये पाप के आस्रव का कारण होती है । <span class="GRef"> महापुराण 1.119 </span></p> | ||
<p></p> | <p></p> | ||
</div> | </div> |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
मूलाचार/मूल /855-856 इत्थिकहा अत्थकहा भत्तकहा खेडकव्वडाणं च। रायकहा चोरकहा जणवदणयरायरकहाओ।855। णडभडमल्लकहाओ मायाकरजल्लमुट्ठियाणं च। अज्जउललंघियाणं कहासु ण विरज्जए धीरा:।856। =स्त्रीकथा, धनकथा, भोजनकथा, नदी पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, केवल पर्वत से घिरे हुए स्थान की कथा, राजकथा, चोरकथा, देश-नगरकथा, खानि संबंधी कथा।855। नटकथा, भाटकथा, मल्लकथा, कपटजीवी व्याध व ज्वारी की कथा, हिंसकों की कथा, ये सब लौकिकी कथा (विकथा) है। इनमें वैरागी मुनिराज रागभाव नहीं करते।856।
देखें कथा ।
पुराणकोष से
धर्मकथा से रहित अर्थ और काम संबंधी कथाएँ (स्त्रीकथा, राजकथा, चोरकथा, भक्तकथा) । ये पाप के आस्रव का कारण होती है । महापुराण 1.119