विपरिणाम: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol> | <ol> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong name="anchor" id="anchor">विपरिणाम </strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> राजवार्तिक/4/42/4/250/18 </span><span class="SanskritText">सत एवावस्थांतरावाप्तिर्विपरिणामः। </span>=<span class="HindiText"> सत् का अवस्थांतर की प्राप्ति करना विपरिणाम है। <br /> | |||
</span></li> | </span></li> | ||
<li | <li class="HindiText"><strong name="2" id="2"> विपरिणामना के भेद व उनके लक्षण</strong> </span><br /> | ||
<span class="GRef"> धवला 15/282/14 </span><span class="PrakritText">विपरिणामउवक्कमो चउव्विहो पयदिविपरिणामणा ट्ठिदिविपरिणामणा अणुभागविपरिणामणा पदेसविपरिणामणा चेदि। पयडिविपरिणामणा दुविहामूलपयडिविपरिणामणा उत्तर-पयडिविपरिणामणा त्ति। तत्थ मूलपयडिविपरिणामणा दुविहादेसविपरिणामणा सव्वविपरिणामणा चेदि। एत्थ अट्ठपदं–जासिं पयडोणं देसो णिज्जरिज्जदि अधट्ठिदिगलणाए सा देसपयडिविपरिणामणा णाम। जा पयडो सव्वणिज्जराए णिज्जरिज्जदि सा सव्बविपरिणामणा णाम।...उत्तरपयडिविपरिणामणाए अट्ठपंद। तं जहा-णिज्जिण्णा पयडी देसेण सव्वणिज्जराए वा, अण्णपयडीए देससंकमेण वा सव्वसंकमेण वा जा संकामिज्जदि एसा उतरपयडिविपरिणामणा णाम।....ट्ठिदो ओवट्टिज्जमाणा वा उव्वट्टिज्जमाणा वा अण्णं पयडिं संकामिज्जमाणा वा विपरिणामिदा होदि।....ओकड्डिदो वि उक्कड्डिदो वि अण्णपयडिं णीदो वि अणुभागो विपरिणामिदी होदि।....जं पदेसग्गं णिज्जिण्णं अण्णपयडिं वा संकामिदं सा पदेसविपरिणामणा णाम। </span>= | |||
<ol> | <ol> | ||
<li class="HindiText"> विपरिणाम उपक्रम चार प्रकार का है–प्रकृतिविपरिणामना, स्थितिविपरिणामना, अनुभागविपरिणामना और प्रदेश विपरिणामना। इनमें प्रकृति विपरिणामना दो प्रकार का है–मूलप्रकृतिविपरिणामना और उत्तरप्रकृतिविपरिणामना।</li> | <li class="HindiText"> विपरिणाम उपक्रम चार प्रकार का है–प्रकृतिविपरिणामना, स्थितिविपरिणामना, अनुभागविपरिणामना और प्रदेश विपरिणामना। इनमें प्रकृति विपरिणामना दो प्रकार का है–मूलप्रकृतिविपरिणामना और उत्तरप्रकृतिविपरिणामना।</li> | ||
Line 15: | Line 15: | ||
</ol> | </ol> | ||
<noinclude> | |||
[[ | [[ विपतत्त्व | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[Category:व]] | [[ विपरीत दृष्टांत | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: व]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
- विपरिणाम
राजवार्तिक/4/42/4/250/18 सत एवावस्थांतरावाप्तिर्विपरिणामः। = सत् का अवस्थांतर की प्राप्ति करना विपरिणाम है।
- विपरिणामना के भेद व उनके लक्षण
धवला 15/282/14 विपरिणामउवक्कमो चउव्विहो पयदिविपरिणामणा ट्ठिदिविपरिणामणा अणुभागविपरिणामणा पदेसविपरिणामणा चेदि। पयडिविपरिणामणा दुविहामूलपयडिविपरिणामणा उत्तर-पयडिविपरिणामणा त्ति। तत्थ मूलपयडिविपरिणामणा दुविहादेसविपरिणामणा सव्वविपरिणामणा चेदि। एत्थ अट्ठपदं–जासिं पयडोणं देसो णिज्जरिज्जदि अधट्ठिदिगलणाए सा देसपयडिविपरिणामणा णाम। जा पयडो सव्वणिज्जराए णिज्जरिज्जदि सा सव्बविपरिणामणा णाम।...उत्तरपयडिविपरिणामणाए अट्ठपंद। तं जहा-णिज्जिण्णा पयडी देसेण सव्वणिज्जराए वा, अण्णपयडीए देससंकमेण वा सव्वसंकमेण वा जा संकामिज्जदि एसा उतरपयडिविपरिणामणा णाम।....ट्ठिदो ओवट्टिज्जमाणा वा उव्वट्टिज्जमाणा वा अण्णं पयडिं संकामिज्जमाणा वा विपरिणामिदा होदि।....ओकड्डिदो वि उक्कड्डिदो वि अण्णपयडिं णीदो वि अणुभागो विपरिणामिदी होदि।....जं पदेसग्गं णिज्जिण्णं अण्णपयडिं वा संकामिदं सा पदेसविपरिणामणा णाम। =- विपरिणाम उपक्रम चार प्रकार का है–प्रकृतिविपरिणामना, स्थितिविपरिणामना, अनुभागविपरिणामना और प्रदेश विपरिणामना। इनमें प्रकृति विपरिणामना दो प्रकार का है–मूलप्रकृतिविपरिणामना और उत्तरप्रकृतिविपरिणामना।
- उनमें भी मूलप्रकृतिविपरिणामना दो प्रकार है–देशविपरिणामना और सर्वविपरिणामना। जिन प्रकृतियों का अधःस्थिति गलन के द्वारा एक देश निर्जरा को प्राप्त होता है वह देशप्रकृति विपरिणामना कही जाती है। जो प्रकृति सर्व निर्जरा के द्वारा निर्जरा को प्राप्त होती है वह सर्व विपरिणामना कही जाती है। देश निर्जरा अथवा सर्व निर्जरा के द्वारा निर्जीर्ण प्रकृति अथवा जो प्रकृति देशसंक्रमण या सर्वसंक्रमण के द्वारा अन्य प्रकृति में संक्रमण को प्राप्त करायी जाती है। यह उत्तरप्रकृतिविपरिणामना कहलाती है।
- अपवर्तमान, उद्वर्तमान अथवा अन्य प्रकृतियों में संक्रमण करायी जाने वाली स्थिति विपरिणामना कहलाती है।
- अपकर्षणप्राप्त, उत्कर्षणप्राप्त अथवा अन्य प्रकृति को प्राप्त कराया गया भी अनुभाग विपरिणामित होता है।
- जो प्रदेशाग्र निर्जरा को प्राप्त हुआ है अथवा अन्य प्रकृति में संक्रमण को प्राप्त हुआ है वह प्रदेश विपरिणामना कही जाती है।