वंद्यता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> पारिव्राज्यक्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । अर्हंतदेव की वंदना करते हुए तपश्चरण करने से मुनियों को यह गुण प्राप्त हो जाता है । वंद्य पुरुष भी ऐसे मुनियों की वंदना करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 39.165, 192 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> पारिव्राज्यक्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । अर्हंतदेव की वंदना करते हुए तपश्चरण करने से मुनियों को यह गुण प्राप्त हो जाता है । वंद्य पुरुष भी ऐसे मुनियों की वंदना करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 39.165, 192 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
पारिव्राज्यक्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । अर्हंतदेव की वंदना करते हुए तपश्चरण करने से मुनियों को यह गुण प्राप्त हो जाता है । वंद्य पुरुष भी ऐसे मुनियों की वंदना करते हैं । महापुराण 39.165, 192