शांति: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक विद्या। यह दशानन को सिद्ध थी। <span class="GRef"> महापुराण 7.331-332 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) एक विद्या। यह दशानन को सिद्ध थी। <span class="GRef"> महापुराण 7.331-332 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरत के साथ दीक्षित एवं परमात्मपद प्राप्त एक राजा। <span class="GRef"> पद्मपुराण 88. 1-6 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) भरत के साथ दीक्षित एवं परमात्मपद प्राप्त एक राजा। <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_88#1|पद्मपुराण - 88.1-6]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
किसी प्रकार की भी आकृति अक्षर वर्ण का विकल्प न करके जहाँ केवल एक शुद्ध चैतन्य मात्र में स्थिति होती है, वह साम्य है।
तत्वानुशासन/मूल 139
माध्यस्थ्यं समतोपेक्षावैराग्यं साम्यमस्पृहा। वैतृष्ण्यं प्रशमः शांतिरित्येकार्थोऽभिधीयते ।139।
माध्यस्थ्य, समता, उपेक्षा, वैराग्य, साम्य, अस्पृहा, वैतृष्ण्य प्रशम और शांति ये सब एक ही अर्थ को लिए हुए हैं।
अधिक जानकारी के लिए देखें सामायिक - 1.1।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम। महापुराण 25. 202
(2) एक विद्या। यह दशानन को सिद्ध थी। महापुराण 7.331-332
(3) भरत के साथ दीक्षित एवं परमात्मपद प्राप्त एक राजा। पद्मपुराण - 88.1-6