शुक्ललेश्या: Difference between revisions
From जैनकोष
Bhumi Doshi (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> छ: लेश्याओं में एक लेश्या । यह अहमिंद्रों के होती है । इसके होने से अहमिंद्रों का पर क्षेत्र में विहार नहीं होता । वे अपने ही प्राप्त भोगों से संतुष्ट रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 11. 141 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> छ: लेश्याओं में एक लेश्या । यह अहमिंद्रों के होती है । इसके होने से अहमिंद्रों का पर क्षेत्र में विहार नहीं होता । वे अपने ही प्राप्त भोगों से संतुष्ट रहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 11. 141 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
<p class="HindiText"> और देखें [[लेश्या#1.4.6| लेश्या 1.4.6 ]] </p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 12: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: | [[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
छ: लेश्याओं में एक लेश्या । यह अहमिंद्रों के होती है । इसके होने से अहमिंद्रों का पर क्षेत्र में विहार नहीं होता । वे अपने ही प्राप्त भोगों से संतुष्ट रहते हैं । महापुराण 11. 141
और देखें लेश्या 1.4.6