श्रद्धावान्: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) हैमवत क्षेत्र के मध्य में स्थित वर्तुलाकार विजयार्ध पर्वत । यह मूल में एक हजार योजन, मध्य में सात सौ पचास और मस्तक पर पाँच सौ योजन | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) हैमवत क्षेत्र के मध्य में स्थित वर्तुलाकार विजयार्ध पर्वत । यह मूल में एक हजार योजन, मध्य में सात सौ पचास और मस्तक पर पाँच सौ योजन चौड़ा है तथा एक हजार योजन ऊँचा है । इसका दूसरा नाम नाभिगिरि है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#161|हरिवंशपुराण - 5.161-162]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) पश्चिम विदेहक्षेत्र का एक वक्षारगिरि । <span class="GRef"> महापुराण 63.203, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.230-231 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पश्चिम विदेहक्षेत्र का एक वक्षारगिरि । <span class="GRef"> महापुराण 63.203, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#230|हरिवंशपुराण - 5.230-231]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
(1) हैमवत क्षेत्र के मध्य में स्थित वर्तुलाकार विजयार्ध पर्वत । यह मूल में एक हजार योजन, मध्य में सात सौ पचास और मस्तक पर पाँच सौ योजन चौड़ा है तथा एक हजार योजन ऊँचा है । इसका दूसरा नाम नाभिगिरि है । हरिवंशपुराण - 5.161-162
(2) पश्चिम विदेहक्षेत्र का एक वक्षारगिरि । महापुराण 63.203, हरिवंशपुराण - 5.230-231