रत्ननंदि: Difference between revisions
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नन्दिसंघ बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप वीरनन्दि नं. १ के शिष्य तथा माणिक्य नं. १ के गुरु थे । समय−शक सं. ५६१-५८५ (ई. ६३९-६६३) ।−दे. इतिहास/७ ।२।