सत्याणुव्रत: Difference between revisions
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<p> अहिंसा आदि पाँच अणुव्रतों में दूसरा अणुव्रत, राग, द्वेष और मोह (अज्ञान) से प्रेरित होकर परपीडाकारी असत्य वचन का त्याग करके हितकारी सारभूत सत्य वचन बोलना सत्याणुव्रत है । हरिवंशपुराण 58.139 वीरवर्द्धमान चरित्र 18.40</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अहिंसा आदि पाँच अणुव्रतों में दूसरा अणुव्रत, राग, द्वेष और मोह (अज्ञान) से प्रेरित होकर परपीडाकारी असत्य वचन का त्याग करके हितकारी सारभूत सत्य वचन बोलना सत्याणुव्रत है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#139|हरिवंशपुराण - 58.139]] </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.40 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
अहिंसा आदि पाँच अणुव्रतों में दूसरा अणुव्रत, राग, द्वेष और मोह (अज्ञान) से प्रेरित होकर परपीडाकारी असत्य वचन का त्याग करके हितकारी सारभूत सत्य वचन बोलना सत्याणुव्रत है । हरिवंशपुराण - 58.139 वीरवर्द्धमान चरित्र 18.40