साधारण: Difference between revisions
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<li>साधारण व असाधारण गुण, निमित्त व पारिणामिक भाव-देखें [[ | <li>साधारण व असाधारण गुण, निमित्त व पारिणामिक भाव-देखें [[ पारिणामिक ]]।</li> | ||
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<li>साधारण नामकर्म व साधारण वनस्पति-देखें [[ | <li>साधारण नामकर्म व साधारण वनस्पति-देखें [[ वनस्पति_व_प्रत्येक_वनस्पति_सामान्य_निर्देश | वनस्पति - 4]]।</li> | ||
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<p> वैण स्वर का एक भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.147 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वैण स्वर का एक भेद । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#147|हरिवंशपुराण - 19.147]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
1. साधारणत्व का लक्षण
सप्तभंगीतरंगिणी/78/6 अनेकव्यक्तिवृत्तित्वमेव हि साधारणत्वम् । = अनेक व्यक्तियों में अनुगतरूप से होने वाला वृत्तित्व ही साधारणत्व है। (विशेष देखें सामान्य )।
2. साधारणासाधारण शक्ति
समयसार / आत्मख्याति/ परिशिष्ठ/शक्ति नं. 26 स्वपरसमानासमानसमानासमानत्रिविधभावधारणात्मिका साधारणासाधारणसाधारणासाधारणधर्मत्वशक्ति:।=स्व व पर के समान, असमान और समानासमान ऐसे तीन प्रकार के भावों की धारणास्वरूप साधारण, असाधारण और साधारणासाधारण धर्मत्व शक्ति है।
3. साधारण व असाधारण हेत्वाभास
श्लोकवार्तिक/4/ भाषाकार/1/33/न्या./273/425/13,18 य: सपक्षे विपक्षे च भवेत् साधारणस्तु स:।... यस्तूभयस्माद्वयावृत्त: स त्वसाधारणो मत:। =व्यभिचारी हेत्वाभास तीन प्रकार का है-साधारण, असाधारण और अनुपसंहारी। तहाँ जो हेतु सपक्ष व विपक्ष दोनों में रह जाता है वह साधारण है, और जो हेतु सपक्ष और विपक्ष दोनों में नहीं ठहरता वह असाधारण है।
4. अन्य संबंधित विषय
- साधारण व असाधारण गुण, निमित्त व पारिणामिक भाव-देखें पारिणामिक ।
- वसतिका का एक दोष-देखें वसतिका 8.3।
- साधारण नामकर्म व साधारण वनस्पति-देखें वनस्पति - 4।
पुराणकोष से
वैण स्वर का एक भेद । हरिवंशपुराण - 19.147