साहसगति: Difference between revisions
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<div class="HindiText">राजा चक्रांक का पुत्र था। सुग्रीव की स्त्री को प्राप्त करने के अर्थ इसने विद्या सिद्ध की थी। | <div class="HindiText">राजा चक्रांक का पुत्र था। सुग्रीव की स्त्री को प्राप्त करने के अर्थ इसने विद्या सिद्ध की थी। <span class="GRef">( पद्मपुराण/10/4,18 )</span>। | ||
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<div class="HindiText"> <p> राजा चक्राक और रानी अनुमति का पुत्र । यह ज्योतिपुर नगर के राजा अग्निशिख की पुत्री सुतारा पर आसक्त था । सुतारा का सुग्रीव से विवाह हो जाने पर भी इसकी आसक्ति कम नहीं हुई थी । इसने सुतारा को पाने के लिए रूप बदलने वाली सेमुखी विद्या सिद्ध की थी । उससे इसने अपना सुग्रीव का रूप बनाकर सच्चे सुग्रीव के साथ युद्ध किया तथा गदा से उसे आहत किया था । अंत में राम ने इसे युद्ध करने के लिए ललकारा । राम को आया देख वैताली विद्या इसके शरीर से निकल गई । यह स्वाभाविक रूप में प्रकट हुआ और राम के द्वारा मारा गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 10.2-18, 47. 107, 116-119, 126 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> राजा चक्राक और रानी अनुमति का पुत्र । यह ज्योतिपुर नगर के राजा अग्निशिख की पुत्री सुतारा पर आसक्त था । सुतारा का सुग्रीव से विवाह हो जाने पर भी इसकी आसक्ति कम नहीं हुई थी । इसने सुतारा को पाने के लिए रूप बदलने वाली सेमुखी विद्या सिद्ध की थी । उससे इसने अपना सुग्रीव का रूप बनाकर सच्चे सुग्रीव के साथ युद्ध किया तथा गदा से उसे आहत किया था । अंत में राम ने इसे युद्ध करने के लिए ललकारा । राम को आया देख वैताली विद्या इसके शरीर से निकल गई । यह स्वाभाविक रूप में प्रकट हुआ और राम के द्वारा मारा गया था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_10#2|पद्मपुराण - 10.2-18]], 47. 107, 116-119, 126 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
राजा चक्रांक का पुत्र था। सुग्रीव की स्त्री को प्राप्त करने के अर्थ इसने विद्या सिद्ध की थी। ( पद्मपुराण/10/4,18 )।
पुराणकोष से
राजा चक्राक और रानी अनुमति का पुत्र । यह ज्योतिपुर नगर के राजा अग्निशिख की पुत्री सुतारा पर आसक्त था । सुतारा का सुग्रीव से विवाह हो जाने पर भी इसकी आसक्ति कम नहीं हुई थी । इसने सुतारा को पाने के लिए रूप बदलने वाली सेमुखी विद्या सिद्ध की थी । उससे इसने अपना सुग्रीव का रूप बनाकर सच्चे सुग्रीव के साथ युद्ध किया तथा गदा से उसे आहत किया था । अंत में राम ने इसे युद्ध करने के लिए ललकारा । राम को आया देख वैताली विद्या इसके शरीर से निकल गई । यह स्वाभाविक रूप में प्रकट हुआ और राम के द्वारा मारा गया था । पद्मपुराण - 10.2-18, 47. 107, 116-119, 126