स्थूलसूक्ष्म-पुद्गल: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> पुद्गल के भेदों में चौथा भेद । ऐसे पुद्गल छाया, चांदनी, आतप आदि के समान होते हैं । ये इंद्रिय से देखे जा सकने के कारण स्थूल है किंतु अविघाती होने से सूक्ष्म भी हैं अत: वे स्थूल सूक्ष्म पुद्गल कहलाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 24.149, 152, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 121 </span>देखें [[ पुद्गल ]]</p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> पुद्गल के भेदों में चौथा भेद । ऐसे पुद्गल छाया, चांदनी, आतप आदि के समान होते हैं । ये इंद्रिय से देखे जा सकने के कारण स्थूल है किंतु अविघाती होने से सूक्ष्म भी हैं अत: वे स्थूल सूक्ष्म पुद्गल कहलाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 24.149, 152, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 121 </span>देखें [[ पुद्गल ]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:30, 27 November 2023
पुद्गल के भेदों में चौथा भेद । ऐसे पुद्गल छाया, चांदनी, आतप आदि के समान होते हैं । ये इंद्रिय से देखे जा सकने के कारण स्थूल है किंतु अविघाती होने से सूक्ष्म भी हैं अत: वे स्थूल सूक्ष्म पुद्गल कहलाते हैं । महापुराण 24.149, 152, वीरवर्द्धमान चरित्र 16. 121 देखें पुद्गल