हरिणाश्वा: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> मध्यमग्राम की दूसरी मूर्च्छना यह गांधार स्वर में होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.163, 165 </span></span> | <span class="HindiText"> मध्यमग्राम की दूसरी मूर्च्छना यह गांधार स्वर में होती है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#163|हरिवंशपुराण - 19.163]], 165 </span></span> | ||
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Latest revision as of 15:31, 27 November 2023
मध्यमग्राम की दूसरी मूर्च्छना यह गांधार स्वर में होती है । हरिवंशपुराण - 19.163, 165