सत्यभामा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"><span class="GRef"> हरिवंशपुराण/सर्ग/श्लोक- </span> <br/>सत्यभामा सुकेतु विद्याधर की पुत्री थी तथा कृष्ण की रानी थी ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_36#58|36.58]]) इनके भानु नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_44#1|44.1]])। अंत में इन्होने दीक्षा धारण कर ली ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#40|61.40]])।</div> | |||
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<div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सत्यभामा विजयार्ध पर्वत पर रथनूपुर नगर के राजा सुकेतु और रानी स्वयंप्रभा की पुत्री थी । इनका विवाह श्रीकृष्ण से हुआ । सुभानु इनका पुत्र था । अंत में इन्होने दीक्षा धारण कर ली थी । <span class="GRef"> (महापुराण 71. 313, 72.156, 169), </span><span class="GRef"> ([[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_36#57|हरिवंशपुराण - 36.57]], [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#40|61.40]]) </span></p> | |||
<p id="2" class="HindiText">(2) सत्यभामा रत्नपुर नगर के सत्यक ब्राह्मण की पुत्री थी | इनका विवाह धरणीजट ब्राह्मण के दासीपुत्र कपिल के साथ हुआ था । इन्होने दान की अनुमोदना से उत्तरकुरु की आयु का बंध किया था । इसके फलस्वरूप वे धातकीखंड के उत्तरकुरु में उत्पन्न हुई थी । <span class="GRef"> (महापुराण 62.325-331, 350, 357-358), </span><span class="GRef"> (पांडवपुराण 4.194-197) </span></p> | |||
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Latest revision as of 19:09, 29 November 2023
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/सर्ग/श्लोक-
सत्यभामा सुकेतु विद्याधर की पुत्री थी तथा कृष्ण की रानी थी (36.58) इनके भानु नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई (44.1)। अंत में इन्होने दीक्षा धारण कर ली (61.40)।
सत्यभामा सुकेतु विद्याधर की पुत्री थी तथा कृष्ण की रानी थी (36.58) इनके भानु नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई (44.1)। अंत में इन्होने दीक्षा धारण कर ली (61.40)।
पुराणकोष से
(1) सत्यभामा विजयार्ध पर्वत पर रथनूपुर नगर के राजा सुकेतु और रानी स्वयंप्रभा की पुत्री थी । इनका विवाह श्रीकृष्ण से हुआ । सुभानु इनका पुत्र था । अंत में इन्होने दीक्षा धारण कर ली थी । (महापुराण 71. 313, 72.156, 169), (हरिवंशपुराण - 36.57, 61.40)
(2) सत्यभामा रत्नपुर नगर के सत्यक ब्राह्मण की पुत्री थी | इनका विवाह धरणीजट ब्राह्मण के दासीपुत्र कपिल के साथ हुआ था । इन्होने दान की अनुमोदना से उत्तरकुरु की आयु का बंध किया था । इसके फलस्वरूप वे धातकीखंड के उत्तरकुरु में उत्पन्न हुई थी । (महापुराण 62.325-331, 350, 357-358), (पांडवपुराण 4.194-197)