मूलप्रायश्चित्त: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
< | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि 9/22/440/10 </span><span class="SanskritText">पुनर्दीक्षाप्रापणमुपस्थापना ।</span> = <span class="HindiText">पुनः दीक्षा देना '''उपस्थापना''' अथवा '''मूल प्रायश्चित्त''' है । <span class="GRef">( राजवार्तिक/9/22/10/621/34 )</span> <span class="GRef">( धवला 13/5,4,26/62/2 )</span> <span class="GRef">( चारित्रसार/144/3 )</span> <span class="GRef">( अनगारधर्मामृत/7/55 )</span> ।<br /> | ||
<span class="HindiText"> विशेष जानकारी के लिए देखें [[ प्रायश्चित्त#1.3 | प्रायश्चित्त - 1.3 ]]। </span> | |||
[[मूलगुण | | <noinclude> | ||
[[ मूलगुण | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:म]] | [[ मूलराज | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: म]] |
Latest revision as of 09:59, 12 January 2024
सर्वार्थसिद्धि 9/22/440/10 पुनर्दीक्षाप्रापणमुपस्थापना । = पुनः दीक्षा देना उपस्थापना अथवा मूल प्रायश्चित्त है । ( राजवार्तिक/9/22/10/621/34 ) ( धवला 13/5,4,26/62/2 ) ( चारित्रसार/144/3 ) ( अनगारधर्मामृत/7/55 ) ।
विशेष जानकारी के लिए देखें प्रायश्चित्त - 1.3 ।