दीर्घह्रस्व: Difference between revisions
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अग्रायणीय पूर्व की पंचमवस्तु के कर्म प्रकृति नामक चौथे प्राभृत (पाहुड) का सत्रहवाँ योगद्धार । हरिवंशपुराण-10.84 देखें अग्रायणीयपूर्व