सत्योपचार: Difference between revisions
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<span class="GRef">धवला पुस्तक 14/5,6,16/13/4 </span><p class=" PrakritText ">सिद्धाणं पि जीवत्तं किण्ण इच्छिज्जदे ण, उवयारस्स सच्चात्ताभावादो।</p> | |||
<p class="HindiText">= प्रश्न-सिद्धों के भी जीवत्व क्यों नहीं स्वीकार किया जाता है। उत्तर-नहीं, क्योंकि सिद्धों में जीवत्व उपचार से है, और '''उपचार को सत्य''' मानना ठीक नहीं है।</p> | |||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ उपचार#4.1 | उपचार - 4.1]]।</p> | |||
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Latest revision as of 15:47, 19 February 2024
धवला पुस्तक 14/5,6,16/13/4
सिद्धाणं पि जीवत्तं किण्ण इच्छिज्जदे ण, उवयारस्स सच्चात्ताभावादो।
= प्रश्न-सिद्धों के भी जीवत्व क्यों नहीं स्वीकार किया जाता है। उत्तर-नहीं, क्योंकि सिद्धों में जीवत्व उपचार से है, और उपचार को सत्य मानना ठीक नहीं है।
अधिक जानकारी के लिये देखें उपचार - 4.1।