सूक्ष्म कृष्टि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> क्षपणासार/490 की उत्थानिका</span> <br><span class="HindiText"> (लक्षण)—संज्वलन कषायनि के स्पर्धकों की जो बादर कृष्टियें; उनमें से प्रत्येक कृष्टिरूप स्थूलखंड का अनंतगुणा घटता अनुभाग करि सूक्ष्म-सूक्ष्म खंड करिये जो '''सूक्ष्म कृष्टिकरण''' है।</span><br /> | |||
<span class="GRef"> क्षपणासार/582/भाषा </span><br><span class="HindiText">—अनिवृत्तिकरण का अंत समय के अनंतर '''सूक्ष्मकृष्टि''' को वेदता हुआ सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान को प्राप्त होता है। तहां सूक्ष्म कृष्टि विषै प्राप्त् मोह के सर्व द्रव्य का अपकर्षण कर गुणश्रेणी करै है।</span><br /> | |||
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क्षपणासार/490 की उत्थानिका
(लक्षण)—संज्वलन कषायनि के स्पर्धकों की जो बादर कृष्टियें; उनमें से प्रत्येक कृष्टिरूप स्थूलखंड का अनंतगुणा घटता अनुभाग करि सूक्ष्म-सूक्ष्म खंड करिये जो सूक्ष्म कृष्टिकरण है।
क्षपणासार/582/भाषा
—अनिवृत्तिकरण का अंत समय के अनंतर सूक्ष्मकृष्टि को वेदता हुआ सूक्ष्मसांपराय गुणस्थान को प्राप्त होता है। तहां सूक्ष्म कृष्टि विषै प्राप्त् मोह के सर्व द्रव्य का अपकर्षण कर गुणश्रेणी करै है।
अधिक जानकारी के लिये देखें कृष्टि 17 ।