स्तनक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
< | <p class="HindiText">दूसरे नरक का प्रथम पटल अथवा <span class="GRef">( त्रिलोकसार की अपेक्षा</span>) द्वितीय नरक का द्वितीय पटल-देखें [[ नरक#5.11 | नरक - 5.11]]। </p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> दूसरे नरक के दूसरे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इस बिल की चारों दिशाओं में एक सौ चालीस और विदिशाओं में एक सौ छत्तीस श्रेणीबद्ध बिल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.78, 106 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> दूसरे नरक के दूसरे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इस बिल की चारों दिशाओं में एक सौ चालीस और विदिशाओं में एक सौ छत्तीस श्रेणीबद्ध बिल है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#78|हरिवंशपुराण - 4.78]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#106|हरिवंशपुराण - 4.106]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 17:21, 26 February 2024
सिद्धांतकोष से
दूसरे नरक का प्रथम पटल अथवा ( त्रिलोकसार की अपेक्षा) द्वितीय नरक का द्वितीय पटल-देखें नरक - 5.11।
पुराणकोष से
दूसरे नरक के दूसरे प्रस्तार का इंद्रक बिल । इस बिल की चारों दिशाओं में एक सौ चालीस और विदिशाओं में एक सौ छत्तीस श्रेणीबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण - 4.78,हरिवंशपुराण - 4.106