स्त्रीवेद: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 6/1,9-1,24/47/1 </span><span class="PrakritText">जेसिं कम्मक्खंधाणमुदएण पुरुसम्मि आकंखा उप्पज्जइ तेसिमित्थिवेदो त्ति सण्णा।</span> = <span class="HindiText">जिन कर्म स्कंधों के उदय से पुरुष में आकांक्षा उत्पन्न होती है उन कर्मस्कंधों की ‘'''स्त्रीवेद'''’ यह संज्ञा है। </span></p> | |||
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सर्वार्थसिद्धि/8/9/386/2 यदुदयात्स्त्रैणान्भावान्प्रतिपद्यते स स्त्रीवेद:। = जिसके उदय से स्त्री संबंधी भावों को प्राप्त होता वह स्त्रीवेद है।
धवला 6/1,9-1,24/47/1 जेसिं कम्मक्खंधाणमुदएण पुरुसम्मि आकंखा उप्पज्जइ तेसिमित्थिवेदो त्ति सण्णा। = जिन कर्म स्कंधों के उदय से पुरुष में आकांक्षा उत्पन्न होती है उन कर्मस्कंधों की ‘स्त्रीवेद’ यह संज्ञा है।
अधिक जानकारी के लिये देखें स्त्री ।