स्वचतुष्टय: Difference between revisions
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पंचाध्यायी/ पूर्वार्ध/263अथ तद्यथा यदस्ति हि तदेव नास्तीति तच्चतुष्कं च। द्रव्येण क्षेत्रेण च कालेन तथाऽथवाऽपिभावेन।263।=द्रव्य के द्वारा, क्षेत्र के द्वारा, काल के द्वारा और भाव के द्वारा जो है वह परद्रव्य क्षेत्रादि से नहीं है, इस प्रकार अस्ति नास्ति आदि का चतुष्टय हो जाता है। और भी देखें श्रुतज्ञान - III में समवायांग।
अधिक जानकारी के लिये देखें चतुष्टय ।