प्रवचनसार - गाथा 120 - अर्थ: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:54, 23 April 2024
इसलिये संसार में 'स्वभाव में अवस्थित' ऐसा कोई भी नहीं है और संसार तो संसरण करते हुये (घूमते हुये) द्रव्य की क्रिया है ।