प्रवचनसार - गाथा 192 - अर्थ: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:54, 23 April 2024
[अहम्] मैं [आत्मकं] आत्मा को [एवं] इस प्रकार [ज्ञानात्मानं] ज्ञानात्मक, [दर्शनभूतम्] दर्शनभूत, [अतीन्द्रियमहार्थं] अतीन्द्रिय महा पदार्थ [ध्रुवम्] ध्रुव, [अचलम्] अचल, [अनालम्बं] निरालम्ब और [शुद्धम्] शुद्ध [मन्ये] मानता हूँ ।