अष्टांक: Difference between revisions
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<p><span class="GRef">( धवला पुस्तक 12/4,2,214/170/7)</span> <span class="GRef">( लब्धिसार / जीवतत्त्व प्रदीपिका / मूल या टीका गाथा 46/79)</span> <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड भाषा/549/2)</span> <span class="GRef">( गोम्मट्टसार जीवकांड / गोम्मट्टसार जीवकांड| जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 325/684)</span>।</p> | <p><span class="GRef">( धवला पुस्तक 12/4,2,214/170/7)</span> <span class="GRef">( लब्धिसार / जीवतत्त्व प्रदीपिका / मूल या टीका गाथा 46/79)</span> <span class="GRef">( गोम्मटसार कर्मकांड भाषा/549/2)</span> <span class="GRef">( गोम्मट्टसार जीवकांड / गोम्मट्टसार जीवकांड| जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 325/684)</span>।</p> | ||
<span class="GRef"> धवला पुस्तक 12/4,2,7,202/131/6</span> <p class=" PrakritText ">किं अठ्ठंकं णाम। हेटिठमुव्वंकं सव्वजीवरासिणा गुणिदे जं लद्धं तेत्तियमेत्तेण हेट्ठिमुब्वंकादो जमहियंट्ठाणं तमट्ठंकं णाम। हेट्ठिमुब्वं करूवाहियसव्वजीवरासिणा गुणिदे अट्ठंकमुप्पज्जदि त्ति भणिदं हो दि।</p> | <span class="GRef"> धवला पुस्तक 12/4,2,7,202/131/6</span> <p class=" PrakritText ">किं अठ्ठंकं णाम। हेटिठमुव्वंकं सव्वजीवरासिणा गुणिदे जं लद्धं तेत्तियमेत्तेण हेट्ठिमुब्वंकादो जमहियंट्ठाणं तमट्ठंकं णाम। हेट्ठिमुब्वं करूवाहियसव्वजीवरासिणा गुणिदे अट्ठंकमुप्पज्जदि त्ति भणिदं हो दि।</p> | ||
<p class="HindiText">= <b>प्रश्न</b> - अष्टांक किसे कहते हैं? <b>उत्तर</b> - अघस्तन उर्वंक को सब जीवराशि से गुणित करने पर जो प्राप्त हो उतने मात्र से, जो अधस्तन उर्वक से अधिक स्थान है उसे अष्टांक कहते हैं। अधस्तन उर्वक को एक अधिक सब जीवराशि से गुणित | <p class="HindiText">= <b>प्रश्न</b> - अष्टांक किसे कहते हैं? <b>उत्तर</b> - अघस्तन उर्वंक को सब जीवराशि से गुणित करने पर जो प्राप्त हो उतने मात्र से, जो अधस्तन उर्वक से अधिक स्थान है उसे अष्टांक कहते हैं। अधस्तन उर्वक को एक अधिक सब जीवराशि से गुणित करने पर अष्टांक उत्पन्न होता है, यह उसका अभिप्राय है।</p> | ||
Latest revision as of 22:54, 25 November 2024
कषायपाहुड़ 5/ $571/333/8
किं अट्ठं कं णाम। अणंतगुणवड्ढो। कथमेदिस्से अट्ठंसण्णा। अट्ठण्हमंकाणमणंतगुणवड्ढी त्तिट्ठवणादो।
= प्रश्न - अष्टांक किसे कहते हैं? उत्तर - अनंत गुण वृद्धि को। शंका - अनंत गुण वृद्धि की अष्टांक संज्ञा कैसे है? उत्तर - नहीं, क्योंकि आठ के अंक की अंतगुणवृद्धिरूप से स्थापना की गयी है। (अर्थात् आठ का अंक अनंतगुणवृद्धि की सहनानी है।)
( धवला पुस्तक 12/4,2,214/170/7) ( लब्धिसार / जीवतत्त्व प्रदीपिका / मूल या टीका गाथा 46/79) ( गोम्मटसार कर्मकांड भाषा/549/2) ( गोम्मट्टसार जीवकांड / गोम्मट्टसार जीवकांड| जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 325/684)।
धवला पुस्तक 12/4,2,7,202/131/6
किं अठ्ठंकं णाम। हेटिठमुव्वंकं सव्वजीवरासिणा गुणिदे जं लद्धं तेत्तियमेत्तेण हेट्ठिमुब्वंकादो जमहियंट्ठाणं तमट्ठंकं णाम। हेट्ठिमुब्वं करूवाहियसव्वजीवरासिणा गुणिदे अट्ठंकमुप्पज्जदि त्ति भणिदं हो दि।
= प्रश्न - अष्टांक किसे कहते हैं? उत्तर - अघस्तन उर्वंक को सब जीवराशि से गुणित करने पर जो प्राप्त हो उतने मात्र से, जो अधस्तन उर्वक से अधिक स्थान है उसे अष्टांक कहते हैं। अधस्तन उर्वक को एक अधिक सब जीवराशि से गुणित करने पर अष्टांक उत्पन्न होता है, यह उसका अभिप्राय है।