मैनासुंदरी: Difference between revisions
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<span class="HindiText">मैनासुंदरी मालव देश में उज्जैनी नगरी के राजा पहुपाल की पुत्री थी । पिता के सन्मुख कर्म की बलवत्ता का बखान करने के कारण क्रोधवश पिता ने कुष्टी के साथ उनका विवाह करवा दिया । उन्होंने पति की खूब सेवा की, तथा मुनियों के कहने पर सिद्धचक्र विधान करके उसके गंधोदक द्वारा अपने पति का कुष्ट दूर किया । अंत में मैनासुंदरी का जीव दीक्षा धारण करके स्त्रीलिंग का छेद कर सोलहवें स्वर्ग में देव हुआ ।</span> | |||
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श्रीपालचरित्र
मैनासुंदरी मालव देश में उज्जैनी नगरी के राजा पहुपाल की पुत्री थी । पिता के सन्मुख कर्म की बलवत्ता का बखान करने के कारण क्रोधवश पिता ने कुष्टी के साथ उनका विवाह करवा दिया । उन्होंने पति की खूब सेवा की, तथा मुनियों के कहने पर सिद्धचक्र विधान करके उसके गंधोदक द्वारा अपने पति का कुष्ट दूर किया । अंत में मैनासुंदरी का जीव दीक्षा धारण करके स्त्रीलिंग का छेद कर सोलहवें स्वर्ग में देव हुआ ।