अनन्तविजय: Difference between revisions
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Revision as of 17:21, 27 April 2020
ऋषभदेव का पुत्र, भरत चक्रवर्ती का छोटा भाई, चरमशरीरी । ऋषभदेव ने इसे चित्रकला का उपदेश दिया था । महापुराण 16.2, 4, 121, 310 भरतेश के द्वारा अधीनता स्वीकार करने के किए कहे जाने पर अपना स्वाभिमान सुरक्षित रखने की दृष्टि से यह दीक्षित हो गया था, तथा गणधर होने के पश्चात् इसने मुक्ति प्राप्त की थी । महापुराण 16.2, 4, 121, 310, 34-126, 47.367-369, 399 यह आठवें पूर्वभव में पूर्व विदेह क्षेत्र में वत्सकावती देश के राजा प्रीतिवर्धन का पुरोहित था । सातवें पूर्वभव में उत्तरकुरु भोगभूमि में आर्य हुआ । छठे पूर्वभव में रुपित विमान में प्रभंजन देव हुआ । पाँचवें पूर्वभव में घनदत्त और घनदत्ता का पुत्र घनमित्र सेठ हुआ । महापुराण 8.211-214, 218 चतुर्थ पूर्वभव में यह अधौग्रैवेयक के सबसे नीचे के विमान में अहमिन्द्र हुआ । महापुराण 9.92-93 तीसरे पूर्वभव में मुण्डरीकिणी नगरी के राजा वज्रसेन का महापीठ नामक राजपुत्र हुआ । महापुराण 11.8-13 इस भव के पूर्व यह सवार्थसिद्धि में अहमिन्द्र था । महापुराण 9.160-161 युगपत् सर्वभवों के लिए द्रष्टव्य है । महापुराण 47.367-369