अर्हद्भक्ति: Difference between revisions
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Revision as of 17:44, 6 May 2020
(1) सोलह कारण भावनाओं में दसवीं भावना-जिनेन्द्र के प्रति मन, वचन और काय से भावशुद्धिपूर्वक श्रद्धा रखना । महापुराण 63.327, हरिवंशपुराण 34.141
(2) राक्षसवंशी राजा । उग्रश्री के पश्चात् लंका का स्वामित्व इसे ही प्राप्त हुआ था । यह माया, पराक्रम, विद्या, बल और कान्ति का धारी था । पद्मपुराण 5.396-400