योगसार - संवर-अधिकार गाथा 192: Difference between revisions
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संवर के भेदों का लक्षण -
रोधस्तत्र कषायाणां कथ्यते भावसंवर: ।
दुरितास्रवविच्छेदस्तद्रोधे द्रव्यसंवर: ।।१९२।।
अन्वय :- तत्र कषायाणां रोध: भावसंवर: कथ्यते । तद्रोधे दुरित-आस्रव-विच्छेद: द्रव्यसंवर: (कथ्यते) ।
सरलार्थ :- मिथ्यात्वादि कषाय परिणामों के निरोध को भावसंवर कहते हैं और मिथ्यात्वादि कषायों के निरोध होने पर ज्ञानावरणादि कर्मो का जो आस्रव अर्थात् आगमन का विच्छेद होता है, उसे द्रव्यसंवर कहते हैं ।