योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 83: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
प्रकृतिबन्ध के भेद - | <p class="Utthanika">प्रकृतिबन्ध के भेद -</p> | ||
<p class="SanskritGatha"> | <p class="SanskritGatha"> | ||
ज्ञानदृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीयायुषी विदु: ।<br> | ज्ञानदृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीयायुषी विदु: ।<br> | ||
Line 6: | Line 5: | ||
</p> | </p> | ||
<p><b> अन्वय </b>:- ज्ञान-दृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीय-आयुषी नाम च गोत्र-अन्तरायौ इति अष्टकर्माणि सूरय: विदु: । </p> | <p class="GathaAnvaya"><b> अन्वय </b>:- ज्ञान-दृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीय-आयुषी नाम च गोत्र-अन्तरायौ इति अष्टकर्माणि सूरय: विदु: । </p> | ||
<p><b> सरलार्थ </b>:- ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय इसप्रकार आचार्यो ने प्रकृतिबंध के आठ भेद बताये हैं । </p> | <p class="GathaArth"><b> सरलार्थ </b>:- ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय इसप्रकार आचार्यो ने प्रकृतिबंध के आठ भेद बताये हैं । </p> | ||
<p class="GathaLinks"> | <p class="GathaLinks"> | ||
[[योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 82 | पिछली गाथा]] | [[योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 82 | पिछली गाथा]] |
Latest revision as of 10:18, 15 May 2009
प्रकृतिबन्ध के भेद -
ज्ञानदृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीयायुषी विदु: ।
नाम गोत्रान्तरायौ च कर्माण्यष्टेति सूरय: ।।८३।।
अन्वय :- ज्ञान-दृष्ट्यावृती वेद्यं मोहनीय-आयुषी नाम च गोत्र-अन्तरायौ इति अष्टकर्माणि सूरय: विदु: ।
सरलार्थ :- ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय इसप्रकार आचार्यो ने प्रकृतिबंध के आठ भेद बताये हैं ।