बोधपाहुड़ गाथा 33: Difference between revisions
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गइ इंदियं च काए जोए वेए कसाय णाणे य ।
संजम दंसण लेसा भविया सम्मत्त सण्णि आहारे ॥३३॥
गतौ इन्द्रिये च काये योगे वेदे कषाये ज्ञाने च ।
संयमे दर्शने लेश्यायां भव्यत्वे सम्यक्त्वे सञ्ज्ञिनि आहारे ॥३३॥
अब मार्गणा द्वारा कहते हैं -
हरिगीत
गति इन्द्रिय कायरु योग वेद कसाय ज्ञानरु संयमा ।
दर्शलेश्या भव्य सम्यक् संज्ञिना आहार हैं ॥३३॥