मेघकूट: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का पच्चीसवाँ नगर । यह अमृतवती देश में था । <span class="GRef"> महापुराण 19.51, 72. 54, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 96, 43.48 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का पच्चीसवाँ नगर । यह अमृतवती देश में था । <span class="GRef"> महापुराण 19.51, 72. 54, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 96, 43.48 </span></p> | ||
<p id="2">(2) निषध पर्वत का एक कूट । यह इस पर्वत की उत्तरदिशा में सीतोदा नदी के तट पर स्थित है । इसका विस्तार नाभि पर्वत के समान है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 192-193 </span></p> | <p id="2">(2) निषध पर्वत का एक कूट । यह इस पर्वत की उत्तरदिशा में सीतोदा नदी के तट पर स्थित है । इसका विस्तार नाभि पर्वत के समान है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 192-193 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक देव । यह सीतोदा नदी के तट पर स्थित मेघकूट पर क्रीड़ा करता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.192-193 </span></p> | <p id="3">(3) एक देव । यह सीतोदा नदी के तट पर स्थित मेघकूट पर क्रीड़ा करता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.192-193 </span></p> | ||
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Revision as of 16:56, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर− देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का पच्चीसवाँ नगर । यह अमृतवती देश में था । महापुराण 19.51, 72. 54, हरिवंशपुराण 22. 96, 43.48
(2) निषध पर्वत का एक कूट । यह इस पर्वत की उत्तरदिशा में सीतोदा नदी के तट पर स्थित है । इसका विस्तार नाभि पर्वत के समान है । हरिवंशपुराण 5. 192-193
(3) एक देव । यह सीतोदा नदी के तट पर स्थित मेघकूट पर क्रीड़ा करता है । हरिवंशपुराण 5.192-193