|
|
(2 intermediate revisions by the same user not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| <p id="1">(1) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 167 </span></p>
| |
| <p id="2">(2) बलभद्र । यह बलि प्रतिनारायण के हन्ता पुण्डरीक नारायण का भाई था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.35 </span></p>
| |
| <p id="3">(3) अकृत्रिम चैत्यालयों की पूर्व दिशा में विद्यमान स्वच्छ जल से परिपूर्ण मच्छ तथा कूर्म आदि से रहित एक ह्रद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 372 </span></p>
| |
| <p id="4">(4) राजा धृत राष्ट्र तथा गान्धारी का इकतीसवाँ पुत्र । <span class="GRef"> पांडवपुराण 8.196 </span></p>
| |
| <p id="5">(5) गोकुल का प्रधान पुरुष एक गोप । यह यशोदा का पति और कृष्ण का पालक था । <span class="GRef"> महापुराण 70.381-402, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 11.58 </span></p>
| |
| <p id="6">(6) तीर्थंकर शान्तिनाथ का चैत्यवृक्ष । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.52 </span></p>
| |
| <p id="7">(7) रावण का एक धनुर्धारी योद्धा । <span class="GRef"> पद्मपुराण 73.171 </span></p>
| |
| <p id="8">(8) भरत के साथ दीक्षित और मुक्त हुआ एक उच्च कुलीन नृप । <span class="GRef"> पद्मपुराण 88.4 </span></p>
| |
| <p id="9">(9) तीर्थंकर महावीर के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 76.543 </span>यह छत्रपुर नगर के राजा नन्दिवर्धन और उसकी रानी वीरमती का पुत्र था । आयु के अन्त में इसने गुरू प्रोष्ठिल से संयम धारण कर लिया था । इससे तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया और समाधिपूर्वक शरीर त्यागा । यह अच्युत स्वर्ग में इन्द्र हुआ और वहाँ से च्युत होकर कुण्डपुर के राजा सिद्धार्थ के तीर्थंकर के अतिशयों से सम्पन्न वर्धमान नामक पुत्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 74. 242-276, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 6.2-104, 7.110-111 </span></p>
| |
| <p id="10">(10) राजा गंगदेव और रानी नन्दयशा का चतुर्थ पुत्र । <span class="GRef"> महापुराण 71. 261-262 </span></p>
| |
| <p id="11">(11) विदेहक्षेत्र के गन्धिला देश में पाटलिग्राम के निवासी वणिक् नागदत्त और उसकी स्त्री सुमति का ज्येष्ठ पुत्र । इसके नन्दिमित्र, नन्दिषेण, वरसेन और जयसेन छोटे भाई तथा मदनकान्ता और श्रीकान्ता छोटी बहिनें थी । <span class="GRef"> महापुराण 6.128-130 </span></p>
| |
| <p id="12">(12) ऐशान स्वर्ग का देव-विमान । <span class="GRef"> महापुराण 9.190 </span></p>
| |
| <p id="13">(13) एक यक्ष । इसने और इसके भाई महानन्द यक्ष ने प्रीतिंकर कुमार को बहुत साधन देकर सुप्रतिष्ठनगर पहुँचाया था । <span class="GRef"> महापुराण 76. 315 </span></p>
| |
|
| |
|
| |
|
| <noinclude>
| | #REDIRECT [[नंद]] |
| [[ नद्युष | पूर्व पृष्ठ ]] | |
| | |
| [[ नन्दक | अगला पृष्ठ ]]
| |
| | |
| </noinclude>
| |
| [[Category: पुराण-कोष]]
| |
| [[Category: न]]
| |