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| <p id="1"> (1) आगामी दूसरा नारायण । महापुराण 76.487, हरिवंशपुराण 60. 566</p>
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| <p id="2">(2) सातवां बलभद्र । यह अवसर्पिणी काल के दुषमा-सुषमा नामक चौथे काल में जन्मा था । वाराणसी नगरी के राजा अग्निशिख और उसकी रानी अपराजिता इसके माता-पिता थे । दत्त नारायण इसका छोटा भाई था । इसकी आयु बत्तीस हजार वर्ष, शारीरिक अवगाहना बाईस धनुष और वर्ण चन्द्रमा के समान था । बलीन्द्र द्वारा भद्रक्षीर नामक हाथी के माँगने पर यह उसका विरोधी हो गया था । इसने बलीन्द्र के पुत्र शतबली को मारा था । यह अपने भाई के वियोग से वैराग्य को प्राप्त होकर सम्भूत मुनि से दीक्षित हुआ तथा केवली होकर मोक्ष गया । महापुराण 66.102-112, 118-123, हरिवंशपुराण 60 290, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.111</p>
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| <p id="3">(3) वृषभदेव के बयासीवें गणधर । महापुराण 43.66, हरिवंशपुराण 12.69</p>
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| <p id="4">(4) महावीर के निर्वाण के पश्चात् बासठ वर्ष के बाद सौ वर्ष के काल में हुए विशुद्धि के धारक अनेक नयों से विचित्र अर्थों के निरूपक, पूर्ण श्रुतज्ञान को प्राप्त, पाँच श्रुतकेवली मुनियों में चौदह पूर्व के ज्ञाता दूसरे मुनि । इनके पूर्व नन्दि तथा बाद मे क्रमश: अपराजित गोवर्धन और भद्रबाहु हुए । महापुराण 2.139-142, 76.518—521, हरिवंशपुराण 1.61, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.41 -44</p>
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| <p id="5">(5) पाटलिग्रामवासी वैश्य नागदत्त और सुमति का द्वितीय पुत्र । यह नन्द का अनुज तथा नन्दिषेण, वरसेन और जयसेन का अग्रज था । इसकी तीन बहिनें थी― मदनकान्ता, श्रीकान्ता और निनामा । महापुराण 6.128-130</p>
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| <p id="6">(6) अयोध्या का एक गोपाल । ऐरावत क्षेत्र के भद्र और धन्य दोनों भाई मरकर इसके यहाँ भैंसे हुए थे । महापुराण 63. 157-160 </p>
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| <p id="7">(7) तीसरे बलभद्र के पूर्वभव का जीव । इसकी जन्मभूमि आनन्दपुरी और गुरु सुव्रत थे । अनुत्तर विमान से चयकर यह बलभद्र हुआ । इस पर्याय मे इसकी माता सुवेश भी । गुरु सुभद्र से दीक्षित होकर इसने निर्वाण प्राप्त किया था । महापुराण 20.230-248</p>
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: न]]
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