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| <p id="1"> (1) साकेत के राजा सगर की प्रतिहारी । इसने सुलसा के पास जाकर सगर के कुल, रूप, सौन्दर्य, पराक्रम, नय, विनय, विभव, बन्धु, सम्पत्ति तथा वर के अन्य गुणों का वर्णन कर उसे सगर में आसक्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.220-222 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 23.50 </span></p>
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| <p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में असुरसंगीत नगर के विद्याधर राजा मय और उसकी रानी हेमवती की पुत्री । इसके पिता दैत्यों के राजा होने से दैत्य नाम से प्रसिद्ध थे । इसका विवाह दशानन के साथ किया गया था । सीता इसी की पुत्री थी । रावण द्वारा सीता का अपहरण किये जाने पर इसने रावण से सीता को लौटाने हेतु निवेदन किया था । इन्द्रजित् और मेघनाद इसी के पुत्र थे । पिता और पुत्रों के दीक्षित हो जाने पर यह भी शशिकान्ता आर्यिका के पास आर्यिका हो गयी थी । <span class="GRef"> महापुराण 8. 17-27, 68.356, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 8.1-3, 47, 80, 73. 93-94, 78.85-94 </span></p>
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| | #REDIRECT [[मंदोदरी]] |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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